पड़े संकट की किलकार,
जब चले कटार या काली की।।
क्रोध भरकै चलै कालका,
सकंट ना छोडै किसे ढालका,
फेर माचै हाहाकार,
जब चले कटार या काली की।।
काचे पिले की सै नाड तोड़ै,
रोग ओपरा मात ना छोडै,
या कर देती अलाचार,
जब चले कटार या काली की।।
हालियाकी मैं करै बसेरा,
दुख का छोडै अंधेरा,
ना करती कदे इनकार,
जब चले कटार या काली की।।
गोलू दास के सिर पै खेलै,
सुमित शर्मा के रहती गेलै,
अनिल करै प्रचार,
जब चले कटार या काली की।।
पड़े संकट की किलकार,
जब चले कटार या काली की।।
Singer – Anil Durjanpuriya
Writer – Kumar Sumit Sharma
7206391791