करो सच्चे मन तै भगती,
या गूरु गोरख की शक्ति,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया म इसकी काट नही।।
तर्ज – तेरी मेरी कट्टी हो जाऐगी।
कोई आग्गै अड़ती चीज नहीं,
संकट का छोड्डै बीज नहीं,
जब कड़ म चिमटा लाग्गै,
सब रोग लिकड़ क भाग्गै,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया म इसकी काट नहीं।।
धूणे प जोत ये जलती ह,
यहाँ सारी बलायें टलती ह,
गुरु गोरख संग माँ काली,
या सबकी देखी भाली,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया मे इसकी काट नहीं।।
दिन रविवार पणवासी है,
लगै चौकी बारहा मासी है,
ना मेरी बात म अन्तर,
सिध होरे शाबर मन्त्र,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया म इसकी काट नहीं।।
ले संगत बागड़ जाऊँ सूँ,
संग गोगा पीर मनाऊँ सूँ,
बल्लीराम तेरे गूण गावै,
यो गाम कमालपूर पावै,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया म इसकी काट नहीं।।
करो सच्चे मन तै भगती,
या गूरु गोरख की शक्ति,
दुनिया म इसकी काट नहीं,
दुनिया म इसकी काट नही।।
गायक – लक्की पिचोलिया।
लेखक – बल्ली राम कमालपूर।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660