आओ मिलकर भजले,
ये महामन्त्र नवकार,
विष भरे सागर में,
है ये अम्रत की धार।।
तर्ज – सावन का महीना।
णमो अरिहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
भाव से भजलो प्यारे,
णमो आयरियाणं,
सच्चे मन से ध्यावे,
वो होवे भव से पार,
विष भरे सागर में,
है ये अम्रत की धार।।
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं,
पंच परमेष्ठि है पावन,
भय दुख हरणं,
एसोपंचणमोक्कारो,
बोलो बारम्बार,
विष भरे सागर में,
है ये अम्रत की धार।।
सव्वपावप्पणासणो,
मंगलाणं च सव्वेसिं,
पढमं हवई मंगलं,
बोलो दिल से हरदम,
नव पदों सोभित,
है अष्ठ सिद्धि दातार,
विष भरे सागर में,
है ये अम्रत की धार।।
आओ मिलकर भजले,
ये महामन्त्र नवकार,
विष भरे सागर में,
है ये अम्रत की धार।।
गायक – नितिन जैन विजय नगर।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365