भोलो भांग धतूरा खावे,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
तर्ज – धरती धोरा री।
शिव थारी जटा में गंग विराजे,
माथे पर चंदों साजे,
गल सर्पन हार विराजे,
भोलो भंडारी,
भोला भाँग धतूरा खावें,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
बाबो जहर आप पिज्यावे,
अमृत ने बांट्या जावे,
ओ तो नीलकंठ कहलावे,
भोलो भंडारी,
भोला भाँग धतूरा खावें,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
आंका कैलाशा पर डेरा,
संकट काटे तेरा मेरा,
मेटे जनम जनम का फेरा,
भोलो भंडारी,
भोला भाँग धतूरा खावें,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
थारा दास विनय गुण गावे,
चरना में शीश नवावे,
बाबा थारी महिमा गावे,
भोलो भंडारी,
भोला भाँग धतूरा खावें,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
भोलो भांग धतूरा खावे,
बाबो तन पर भस्मी रमावे,
जाने किरो ध्यान लगावे,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी,
भोलो भंडारी।।
गायक – श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय कुमार तमोली।
लक्ष्मणगढ़। 9785064838