चैत के महीने में आई गणगौर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर,
चुनड़ी उड़ासी पवन चितचोर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर।।
तर्ज – सावन का महीना।
हरया हरया ज्वारां,
म्हें तो उगास्यां,
सगला मिलकै थारा,
लाड लडास्यां,
हिलमिल बैठके म्हें तो,
आज पूजा हां गणगौर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर।।
माथे पे टीको,
थारे है सोवै,
सोणी सी नथली,
म्हारे मनडे ने मोवै,
रुनझुन करती आई,
म्हारी प्यारी गणगौर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर।।
ईसर गणगौर थारी,
महिमा है न्यारी,
थाणे तो पूजे है,
सुहागण सारी,
‘मधु’ के जीवन की माँ,
थे थाम लो अब डोर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर।।
चैत के महीने में आई गणगौर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर,
चुनड़ी उड़ासी पवन चितचोर,
लैरां ऊपर नौका हिन्डै,
नौका में गणगौर।।
Singer & Lyricist – Madhu Kedia