श्यामधणी ने ये दरबार,
खुद सजवाया है,
दूर दूर से भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
ना.. ना.. ना..,
हम सबसे मिलने का खयाल,
दिल में आया है,
इसीलिए बाबा ने मेरे,
कीर्तन ये कराया है।।
तर्ज – शायद मेरी शादी का खयाल।
बैठा है सांवरा,
तू मत घबराना,
चाहे जो मांग लेना,
जरा न शरमाना,
इंतजार की घड़ी,
अब नही बाकी,
सज गई मेरे सांवरे की,
ये सूंदर झांकी,
बाबा ने भगतों को,
दिल में बिठाया है,
इसलिए भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
खाटू से लीले चढ़ के,
बाबा आया है,
दूर दूर से भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
ना.. ना.. ना..,
हम सबसे मिलने का खयाल,
दिल में आया है,
इसीलिए बाबा ने मेरें,
कीर्तन ये कराया है।।
आ गए हो दर पे तो,
कीर्तन भी गा लो,
नाच के झूम के,
झोलियां भरवा लो,
ये मेरा सांवरा,
बांट के राजी,
भगतों को जितवाता है,
हारी हुई बाजी,
बाबा ने भगतों को,
हर बार जिताया है,
इसीलिए भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
भगतों की झोली भरने को,
बाबा आया है,
दूर दूर से भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
ना.. ना.. ना..,
हम सबसे मिलने का खयाल,
दिल में आया है,
इसीलिए बाबा ने मेरें,
कीर्तन ये कराया है।।
भगतों का बाबा से,
एक भाव का रिश्ता,
भाव हो जिसके दिल में,
वो ही समझ सकता,
भगतों के बीच में ही,
मन इनका लगता,
देखकर भगतों को इनका,
चेहरा है खिलता,
बाबा ने ही ‘अम्बरीष’ का भी,
मान बढ़ाया है,
इसलिए भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
झूमो नाचो मिलजुल करके,
ये समझाया है,
दूर दूर से भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
ना.. ना.. ना..,
हम सबसे मिलने का खयाल,
दिल में आया है,
इसीलिए बाबा ने मेरें,
कीर्तन ये कराया है।।
श्यामधणी ने ये दरबार,
खुद सजवाया है,
दूर दूर से भगतों को,
कीर्तन में बुलाया है,
ना.. ना.. ना..,
हम सबसे मिलने का खयाल,
दिल में आया है,
इसीलिए बाबा ने मेरे,
कीर्तन ये कराया है।।
Singer – Ravi Beriwal
Lyrics – Ambrish Kumar Mumbai
9327754497