ओढ़ ली चुनर माथे चांदी को बेवड़ो,
गुजरिया चाली गढ़बोर नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
आगे भी संतरी पाचे भी संतरी,
गुजरिया चाली बीच मर्यादा में,
ठाकुर जी ने स्नान करावा ने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
फागां माही फाग रमो छो,
झूलनी पर झूला में रमो छो,
मारो ठाकुर आवे राणा रमवा ने,
ठाकुर जी ने स्नान करावा ने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
वा रे वा गडबोरया वारा,
मैं तो आया रे दर्शन करवा ने,
ठाकुर जी रे जावन्या चढ़ावा ने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
अरे गोपी थारा भजन बनावे,
चरणा माही शीश नमावे,
प्यारो गावे रे ठाकुर चरना में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावाने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
ओढ़ ली चुनर माथे चांदी को बेवड़ो,
गुजरिया चाली गढ़बोर नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने,
गुजरिया चाली छोगाला की नगरी में,
ठाकुर जी ने हापाड़ो करावा ने।।
गायक – प्यारेलाल गुर्जर।
प्रेषक – महेश धाकड़।
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