रामायण के सात काण्ड में,
कोई नही है ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
घर घर में गाया जाता है,
कौन सा ग्रंथ है ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा।।
तर्ज – प्यासे पंछी नीलगगन के।
सुन्दरकाण्ड में बालाजी की,
लीला बड़ी है भारी,
पग-पग पर श्री राम की जिसने,
विपदा हर ली सारी,
लांघ समंदर लंका जलाना,
शौर्य नही कहीं ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा।।
वार तिथि मुहूर्त मत देखो,
जब भी समय हो गालो,
रामायण का सार है इसमें,
माथे इसे लगा लो,
इतना सरल है हर कोई पढ़ले,
शास्त्र नही कोई ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा।।
सुन्दरकाण्ड में बालाजी की,
तेज भरी चौपाईयां,
नियमित पढ़ने से भगतों,
मिटती गम की परछाईयां,
‘अम्बरीष’ बोले कर नही सकता,
चमत्कार कोई ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा।।
रामायण के सात काण्ड में,
कोई नही है ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
घर घर में गाया जाता है,
कौन सा ग्रंथ है ऐसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा,
सुन्दरकाण्ड के जैसा।।
Singer – Sudarshan Kumar
Lyrics – Ambrish Kumar Mumbai
9327754497
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