हे आकेली में धाम,
गोगाजी रो कहावे,
भक्तों रे मन भावे,
म्हारा केसरिया कंवर जी रो,
धाम सोवनो लागे,
जटे ढोल नगाडा,
नोपत घेरी बाजे,
हे आकेली में ज्योत,
जागती थोरी,
ओ गोगाजी थोरी,
थोरो रायपुर तहसील में,
धाम हे परचा भारी,
थे तो भगतो रे हाथ रा,
हजुर नमे नर नारी।।
हे आकेली रा ठाकुर सा,
नाड़ी पलासनी आया,
ए घोडे चढ़ आया,
ए सुता सुखभर नींद,
गोगाजी आया,
ए नाग रुप में ठाकुर सा ने,
दर्श दिखाया,
ए नाग रुप मे ठाकुर सा ने,
दर्श दिखावे बात बतलावे,
ए ठाकुर सा जोडे हाथ,
शिश निवावे,
देवा करजो म्हारे सहाय,
अरज करावे।।
हे केसरिया कंवर जी,
केवे बात सुनो थे म्हारी,
ठाकुर सा म्हारी,
अटे खोदो जमीन,
निकालो मूर्ति म्हारी,
ले जावो आपरे गांव,
सेवा करो म्हारी,
ए ठाकुर सा जोडे हाथ,
अरज सुनो म्हारी,
देवता म्हारी,
लगानी हाजरी जाय,
जोधाणा दरबारी,
मै किकर करुला सेवा,
कंवर सा थोरी।।
हे हाजिर होवेला नित,
रोज जोधाणा दरबारी,
ठाकुर सा थोरी थोडो,
राखो मनडा में विश्वास,
बात सुनो म्हारी,
जिन दिशा मे घोडो रुके वटे,
करजो थापना म्हारी,
हे होय घोडले असवार,
ठाकुर सा आवे,
आकेली गांव आवे,
ए आवे आकेली रे गांव,
घोडो वटे रुक जावे,
ए केसरिया कंवर जी री मूर्ति,
थापना करावे।।
हे 2055 संवत आ आवे,
भगत हर्षावे,
चैत्र वदी आ तीज,
मन्दिर बनवावे,
गाजा बाजा सु मन्दिर,
प्रतिष्ठा करावे,
हे कृष्ण अष्टमी रो,
सारी रात जमला जगावे,
जयकारा लगावे,
ओ गोगा नवमी रो मेलो,
हे जोर भरावे,
चाढे घिरत मिठाईयां,
नारेला रा भोग लगावें।।
हे जहरी जीव खायोडा,
आकेली धाम में आवे,
तांती बंधावे,
धणी करे दुखियो री सहाय,
दुखड़ा मिटावे,
बीरा सिवरे जकोरा,
सकल कष्ट मिट जावे,
हे नाचे भूत डाकनीया,
द्वार बंध छुडावे,
झनझाल मिटावे,
लागे छेडाबंधी जात,
पालना बंधावे,
धनी जीवन में करदे,
लीला लहर आनंद बरसावे।।
हे आकेली में धाम,
बनियों हद भारी,
कंवर सा रो भारी,
ओ सूरज सामी धाम,
मूरत लागे प्यारी,
धनीया रे चांदी रा,
छत्तर अपार,
हे महिमा निराली,
हे बाजे ढोल नगाडा रा,
पोड झालर झनकारी,
आरतीया होवे भारी,
अटे दर्शन आवे नर नार,
फेरीया लगावे,
कंवर सा सुखी राखजो संसार,
अरज भगता री।।
हे *अशोक नाथ जी*,
नित उठ शिश निवावे,
गोगाजी ने ध्यावे,
होवे केसरिया कंवर जी री महर,
भण्डार भरावे,
कंवर सा धरजो सिर पर हाथ,
ए विनती करावे,
हे *मनीष सीरवी*,
भजन भाव सु गावे,
रायपुर सु आवे,
ओ *भवानी कोलू* वालो,
चरना मे शिश निवावे,
कंवरा राजेश चरना मे,
निव निव धोक लगावें,
गोगाजी करदो भवसु पार,
ओ अरज करावे,
थारी महिमा अपरम्पार,
आ वर्णिन जावे।।
हे आकेली में धाम,
गोगाजी रो कहावे,
भक्तों रे मन भावे,
म्हारा केसरिया कंवर जी रो,
धाम सोवनो लागे,
जटे ढोल नगाडा,
नोपत घेरी बाजे,
हे आकेली में ज्योत,
जागती थोरी,
ओ गोगाजी थोरी,
थोरो रायपुर तहसील में,
धाम हे परचा भारी,
थे तो भगतो रे हाथ रा,
हजुर नमे नर नारी।।
गायक – भवानी सिंह जी राजपुरोहित कोलू।
लेखक – मनीष सीरवी रायपुर जिला ब्यावर राजस्थान।
9640557818