ऐसी आरती निसदिन करिये,
राम सुमिर भवसागर तिरिये।।
तन मन अरप चरण चित दिजे,
सतगुरू शब्द हिरदे धर लीजे।।
तन देवल बिच आतम पुजा,
देव निरँजन ओरन दुजा।।
दिपक ज्ञान पाँच कर बाती,
धूप ज्ञान खेवो दिन राती।।
अनहद झालर शब्द अखँडा,
निसदिन सेव करे मन पँडा।।
आनंद आरती आतम देवा,
जन दरियाव करे जहाँ सेवा।।
ऐसी आरती निसदिन करिये,
राम सुमिर भवसागर तिरिये।।
गायक – सुखदेव जी महाराज कुचेरा।
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