चन्द्र रत्न सुरि प्यारा,
चन्द्र रत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर,
जिनरत्न सुरीश्वर,
कुल दीप दिपेस्वर,
जीतरत्न सुरिस्वर के,
लाडले बंधुवर,
तपमय जीवन किया,
मन मे धार लिया,
मन्त्रो का जाप करके,
गच्छ का नाम किया,
अनुमोदना बारम्बार,
चन्द्ररत्न सुरि प्यारा,
चन्द्ररत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर।।
तर्ज – क्यारे मलसु गुजराती गरबा।
साधना के पथ पे आगे,
बढ़ते जा रहे है,
एक एक सीढ़िया देखो,
चढ़ते जा रहे है,
हो हिमालय सा अटल है,
लक्ष्य ये आपका,
जीवन मे होने लगा,
प्रभाव जाप का,
जाप से प्रीत जोड़ी,
कर्म जंजीर तोड़ी,
देव गुरु के हवाले,
जीवन की नाव छोड़ी,
होगी ये भव से पार,
चन्द्ररत्न सुरि प्यारा,
चन्द्ररत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर।।
चन्द्र सम चमके,
गुरु की महिमा अपार है,
खुशियों की लहर छाई,
हुई जयकार है,
हो झूम रहा है ये देखो,
गुरु भक्त परिवार है,
गुरुवर का स्वप्नन आज,
हो रहा साकार है,
“दिलबर” त्रिलोक में,
ऐसी साधना नही है,
सूरी मन्त्र पीठिका के,
हकदार यही है,
करे वन्दना बारम्बार,
चन्द्ररत्न सुरि प्यारा,
चन्द्ररत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर।।
चन्द्र रत्न सुरि प्यारा,
चन्द्ररत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर,
जिनरत्न सुरीश्वर,
कुल दीप दिपेस्वर,
जीतरत्न सुरिस्वर के,
लाडले बंधुवर,
तपमय जीवन किया,
मन मे धार लिया,
मन्त्रो का जाप करके,
गच्छ का नाम किया,
अनुमोदना बारम्बार,
चन्द्ररत्न सुरि प्यारा,
चन्द्ररत्न सुरिस्वर,
सूरी मन्त्र साधक है ये,
तप के तपेस्वर।।
गायक – श्री त्रिलोक जी मोदी अहमदाबाद।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365