राम भजलो प्राणियां,
अवसरियो बित्यो जावे रे,
आछी रे करणी से पायो मानखो।।
राम नाम धन चोडे पड़ीयो,
ज्याने क्यू नहीं लूटो रे,
खरची आगोतर वाली बांधवों।।
धन रे जोबन रो बंदा,
मत कर तु अभिमान रे,
काया रे छोड़ जिवडो जावसी।।
पर तिरिया न माता समजो,
पर धन धुड समान रे,
एडा रे गुणा न जिवडा धारले।।
पगा बलति दिके कोनी,
डुंगर बलता दिके रे,
एडा रे गुणा न जिवडा छोड़दे।।
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
सुणजो चित लगाय रे,
साधा री सगंत मे आवो प्रेम से।।
राम भजलो प्राणियां,
अवसरियो बित्यो जावे रे,
आछी रे करणी से पायो मानखो।।
स्वर – संत श्री सुखदेवजी महाराज।
प्रेषक – जयप्रकाश सिवर।
9602812689