सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
गुरु कुमकुम पगलिये पधारियाँ,
भगतो रा भाग्य सँवारीया,
गुरु ज्ञान की ज्योत जगाई,
म्हारे आँगण खुशियाँ छाई,
गुरु दर्श है म्हाने दिखाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
है माँ देमी रा नंदन,
थाने कोटि कोटि वन्दन,
गुरु कृपा रो बरसे सावन,
हुयो धन्य यो म्हारो जीवन,
दिलबर महेश ने गाया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
सूरी राया रे म्हारा गुरु राया रे,
प्यारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे मनडे भाया रे,
म्हारा मनोज्ञ सूरी गुरु राया,
म्हारे आँगण आया रे।।
गायक एवं रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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