राम प्रभु पे विपदा आई,
जल्दी आओ ना,
शक्ति लगी लक्ष्मण के,
हनुमत प्राण बचाओ ना,
अंजनी के दुलारे मेरे,
अंजनी के दुलारे,
अंजनी के दुलारे प्रभु के,
काज बनाओ ना।।
द्रोणागिरी पर वेद बताई,
संजीवन कहलाए,
सूरज उगने से पहले,
ये बूटी कैसे आए,
हे बजरंगी अपने बल का,
ध्यान लगाओ ना,
रामप्रभु पे विपदा आयी,
जल्दी आओ ना,
शक्ति लगी लक्ष्मण के,
हनुमत प्राण बचाओ ना।।
द्रोणागिरी पे पहुंचे हनुमत,
बूटी समझ ना आए,
मन ही मन मे सोच रहे है,
कैसे पता लगाएं,
आख़िर मन में ठान लिया,
पर्वत ही उठाओ ना,
रामप्रभु पे विपदा आयी,
जल्दी आओ ना,
शक्ति लगी लक्ष्मण के,
हनुमत प्राण बचाओ ना।।
संजीवन ले हनुमत पहुंचे,
राम के काज बनाएं,
वेदराज ने बूटी दे,
लक्ष्मण के प्राण बचाएं,
रामप्रभु बोले हनुमत से,
गले लग जाओ ना,
राम पे जब भी विपदा आई,
हनुमत दौड़े आए
‘नाथ गुलाब’ महिमा थारी,
हरष हरष कर गाए,
‘विनय’ कहे नैया मेरी भी,
पार लगाओ ना।।
राम प्रभु पे विपदा आई,
जल्दी आओ ना,
शक्ति लगी लक्ष्मण के,
हनुमत प्राण बचाओ ना,
अंजनी के दुलारे मेरे,
अंजनी के दुलारे,
अंजनी के दुलारे प्रभु के,
काज बनाओ ना।।
गायक – संत श्री गुलाब नाथ जी महाराज।
लेखक – विनय कुमार तमोली लक्ष्मणगढ़।
9785064838