राजस्थान रा माही विराजो,
भक्तो री रखवाली माँ,
भक्तो रा सब संकट काटो,
सच्चियाय मात भवानी माँ,
मैया थारो चांद सरीखो मुखड़ो,
थाने देख चाँद शरमाये,
मैया थारी मूरत बड़ी है प्यारी,
भगतो रा मन हरषाये,
मैया म्हारी सच्चिया मात भवानी,
सोलह सिणगार सजाये,
मैया थारी लेउँ मैं नजर उतार,
कहि नजर नही लग जाये।।
तर्ज – बन्नी थारो चाँद सरीखो।
शीश मुकुट कानो में कुंडल,
ओढे लाल चुनरियाँ माँ,
लाल फूलो रो हार गला में,
नाक में नथनी सोभे माँ,
हो मैया थारा केश है घुँघरवाला,
लट उलझी उलझी जाय,
हो मैया थारे हाथो में चुड़लो चमके,
पायलियाँ बजती जाय,
मैया थारो रूप बड़ो ही सुहानो,
थाने देख चाँद शरमाये,
मैया थारी मूरत बड़ी है प्यारी,
भगतो रा मन हरषाये,
मैया म्हारी सच्चिया मात भवानी,
सोलह सिणगार सजाये,
मैया थारी लेउँ मैं नजर उतार,
कहि नजर नही लग जाये।।
रूप अनूपम मैया थारो,
थाने देख ‘भरत’ सुख पाये माँ,
टाबरिया थारी शरण में आया,
थारा ही गुण गाये माँ,
हो माँ थारे चरणों मे बलिहारी,
“दिलबर” जाये था पर वारी,
कहे ‘भव्य’ है मात भवानी,
हो माँ थाने ध्य्यावे नर और नारी,
थे हो कलयुग रा अवतारी,
मैया थारो रूप बड़ो ही सुहानो,
थाने देख चाँद शरमाये,
मैया थारी मूरत बड़ी है प्यारी,
भगतो रा मन हरषाये,
मैया म्हारी सच्चिया मात भवानी,
सोलह सिणगार सजाये,
मैया थारी लेउँ मैं नजर उतार,
कहि नजर नही लग जाये।।
राजस्थान रा माही विराजो,
भक्तो री रखवाली माँ,
भक्तो रा सब संकट काटो,
सच्चियाय मात भवानी माँ,
मैया थारो चांद सरीखो मुखड़ो,
थाने देख चाँद शरमाये,
मैया थारी मूरत बड़ी है प्यारी,
भगतो रा मन हरषाये,
मैया म्हारी सच्चिया मात भवानी,
सोलह सिणगार सजाये,
मैया थारी लेउँ मैं नजर उतार,
कहि नजर नही लग जाये।।
गायक – भव्य जैन मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365