माँ काली ज्योत जगाई री,
चरणा मै अर्जी लाई री,
छोड़ के शमशान आइये री,
तेरा धरया पान और पेडा खाईऐ री।।
तर्ज – तू पागल प्रेमी आवारा।
दरबारा मै ज्योत के स्यामी,
सन्कट बैरी अकडै,
पेशी बैरण दुखिया की या,
सारी देही जकडै,
संकट नै कर दिया चाला री,
दुखिया की जान का गाला री,
आकै जान बचाईए माई री,
तेरा धरया पान और पेडा खाईऐ री।।
5 पताशे 7 ढाल की,
धरी मिठाई तेरी,
कित रहगी माँ काली आवै,
आस टूटती मेरी,
लेके हाथ कटारी री,
चढ शव की तू सवारी री,
कर आख क्रोध मै लाल आईए री,
तेरा धरया पान और पेडा खाईऐ री।।
गल मुण्डो की माला पहर तू,
भवना के मै आज्या,
दे दे कै किलकार माई,
ईस संकट नै खाज्या,
करी सोमे नै कविताई री,
सतपाल नै महिमा गाई री,
तेरा धरया पान और पेडा खाईऐ री।।
माँ काली ज्योत जगाई री,
चरणा मै अर्जी लाई री,
छोड़ के शमशान आइये री,
तेरा धरया पान और पेडा खाईऐ री।।
गायक – मुकेश शर्मा।
लेखक / प्रेषक – सोमनाथ रोहटिया।
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