ओ जगदम्बे अम्बे माय,
तेरा गुण गायेंगे।।
मैया मुकुट रूप धर आजा,
मेरे मन का भ्रम मिटाजा,
सत्संग में रंग बरसाजा,
तुझे मनायेंगे,
ओ जगदंबे अम्बे मात,
तेरा गुण गायेंगे।।
तेरा रूप अनूप सुहाणी,
तू है धौलागढ़ की राणी,
सिंह पर बैठी होय दीवानी,
रूप सरायेंगे,
ओ जगदंबे अम्बे मात,
तेरा गुण गायेंगे।।
पीकर प्याला हो मतवाली,
हाथ में खपर चामुंडा काली,
बजादे एक हाथ से ताली,
दुष्ट खपायेंगे,
ओ जगदंबे अम्बे मात,
तेरा गुण गायेंगे।।
तू है बड़ा बड़ी महामाई,
थाने ऋषि मुनि सब ध्याई,
‘खिंवा’ के भीड़ चढ़ आई,
स्वर्ग पठायेंगे,
ओ जगदंबे अम्बे मात,
तेरा गुण गायेंगे।।
ओ जगदम्बे अम्बे माय,
तेरा गुण गायेंगे।।
गायक – विनोद मेघवाल।
8094953386