सारे जग ने खायगी माया,
अंग ने घुमाय के।।
शिवजी था इक पूरा योगी,
जिनकी काया सदा निरोगी,
शिवजी की ब्रित्या न खिंचली,
भीलणी रूप बनाए के।।
कृष्ण था पूर्ण अवतारी,
जिनके संग में राधा प्यारी,
कृष्णजी की बांसुरी लेली,
प्रेम प्रीति लगाए के।।
भस्मासुर ने भस्म कर दीनी,
माया अपने वश में किनी,
भस्मासुर ने भस्म कर दिया,
माया रूप बनाए के।।
माया तू है अजब रंगीली,
कई पर सूखी कई पर गीली,
श्यामलाल बतलाय लीनी,
सतगुरु शरणे जाय के।।
सारे जग ने खायगी माया,
अंग ने घुमाय के।।
गायक – विनोद मेघवाल हनुमानपुरा।
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