जीवन में जो चाहो सुख पाना,
हरि नाम कभी ना बिसराना,
दिव्य ज्योति मन में जलाना,
हरि नाम कभी ना बिसराना।।
तर्ज – दीदी तेरा देवर।
जलाई विधाता ने जीवन की ज्योति,
ये नर तन समझ लेना अनमोल मोती,
जो नेकी बदी तू यहाँ पर कमाता,
वहां उसकी पल पल है निगरानी होती,
वहां उसकी पल पल है निगरानी होती,
लेखा जोखा होगा चुकाना,
हरि नाम कभी न बिसराना।bd।
बनी आज है कल बनी ना रहेगी,
छनी आज है कल छनी ना रहेगी,
सदा रात में चांदनी न रहेगी,
ये दौलत की चादर तनी ना रहेगी,
ये दौलत की चादर तनी ना रहेगी,
खाली हाथ होगा तुम्हें जाना,
हरि नाम कभी न बिसराना।bd।
जीवन में जो चाहो सुख पाना,
हरि नाम कभी न बिसराना,
दिव्य ज्योति मन में जलाना,
हरि कथा कभी ना बिसराना।।
स्वर – आनंद भूषण जी महाराज।
प्रेषक – पंडित गोविंद प्रसाद मिश्र।
9838790165