हेलो जी सुनो,
म्हारा राम रमइया,
द्वारका रा नाथ धणी,
रुणिचा बसइया।।
थारो बनयो देवरो रुणिचा में,
धोली ध्वजा फहरावे,
ओ बाबा,
धोली ध्वजा फहरावे,
थारे पाँच टेम की होवे आरती,
जगमग जोत जगावे,
ओ बाबा,
जगमग जोत जगावे,
सांचो लाग्यो दरबार,
दर पे आवे नर नार,
बाबा सगला रा कष्ट मिटाई रहया,
हेलो जी सुणो,
म्हारा राम रमइया।।
थारी अगर चंदन री बनी समाधि,
धूपा री महकारा जी,
महके धूपा री महकारा,
थारे चढ़े चूरमो मेवा मिश्री,
अनधन का भण्ढारा,
चढ़े है अनधन का भण्ढारा,
आवे जात जड़ुला,
आवे आँधा लंगड़ा लूला,
थारा साँचा पर्चा लाग रहया,
हेलो जी सुणो,
म्हारा राम रमइया।।
आवे हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,
द्वारे धोक लगाए,
धणी के द्वारे धोक लगाए,
करे भक्ता रो उद्धार रामसा,
जो ध्यावे सो पावे,
बाबे सु जो ध्यावे सो पावे,
बाजे सुर और ताल,
गुण गावे गोपाल,
थारा भक्ता दर्शन पाई रहया,
हेलो जी सुणो,
म्हारा राम रमइया।।
हेलो जी सुनो,
म्हारा राम रमइया,
द्वारका रा नाथ धणी,
रुणिचा बसइया।।
गायक – श्री गोपाल बजाज जी परीक्षित।
प्रेषक – मयंक कामरा।
श्री गंगानगर, 7340299028