एक दिन जाणो रे माया का लोभी,
यहां नहीं रेणो रे,
एक दिन जाणों रे।।
बेटा बहु तो कदी नी बोल्या,
बिन बोल्या दिन काट्या रे,
मरया बाद फिर रोवण लाग्या,
मन कय देख्या रे,
एक दिन जाणों रे।।
कदी नी पेरिया नया कपड़ा,
फाटा रे दिन काट्या रे,
मरया बाद फिर कपड़ा लाया,
मन कय पेरिया रे,
एक दिन जाणों रे।।
कदी नी खाया ताता रोटा,
बासी से दिन काट्या रे,
मरया बाद फिर लड्डू बनावे,
मन कय खाया रे,
एक दिन जाणों रे।।
एक दिन जाणो रे माया का लोभी,
यहां नहीं रेणो रे,
एक दिन जाणों रे।।
गायक – कमल राव।
प्रेषक – घनश्याम बागवान सिंगाजी।
(सिद्दीकगंज) 7879338198