जोगियो निज घर अलख जगावो,
थे इण विध जोग कमावो रे,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
नाभि कवल दिल पवन पलट कर,
जरणी रे बंध लगावो,
पांच तीन नव सोजो जो तन में,
दशमे आसण लावो रे,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
धूणी ध्यान तापो त्रिवेणी,
तन में तास लगावो,
अनहद घण्ट गेब रा वाजे,
काल मारे गुण गावो,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
अड़ा उड़द बीच हाट मंडोणी,
सोवनी में ध्यान लगावो,
वंक नाल होय चढ़ो शिखर में,
सुन में जाय समावो,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
सोवनी शिखर में पीतांबर दरशे,
वहां जाए शीश नमावो,
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
इण जोग कमावो,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
जोगियो निज घर अलख जगावो,
थे इण विध जोग कमावो रे,
जोगियों निज घर अलख जगावो।।
गायक – लक्ष्मण तंवर।
प्रेषक – दिनेश पांचल बुड़ीवाड़ा।
8003827398