सर पिंजर श्री हनुमान जी की सम्पूर्ण कथा,
हड़मत जोधा महाबली समरथ रघुराई,
राम दुआई रमे रहा सत समरण री स्याई।।
नगर अयोध्या प्रकटीया तैता युग मांही,
सरत भरत लक्ष्मणा परमारत पाई।।
घर दशरथ रे जनमीया सुरों अर्ज सवाई,
कमकी सवधे चौकड़ी आधी रावण ने भुगताई।।
मथरा प्रकट मोह भया गढ गोकुल के मांही,
शीश संग दर्शण दिया परस गंगा पाई।।
मथरा खेल गोकल खेलीया दाणव परा दपटाई,
रामा भारी भर खम्मा सारों में पासताई।।
अर्जुन केवे रामजी वचन सुणो मेरा साँई,
राम दुहाई भेंट करो श्री कृष्ण नाम धराई।।
जुग रा जोधा जुग मांही रहता रहता इण युग मांई,
आगे जोधा अन्त भला रहता इण युग मांई।।
कृष्ण नारद तेड़ीया नारद यूं परो आई,
जूनागढ़ हड़मत वसे उसको परो बुलाई।।
नारद वे जूनागढ गया गया हड़मत रे पाई,
थाने बुलावे रामजी हड़मत यूं परो आई।।
हड़मत नारद आवीया परोलों में मावे नहीं,
हाथ अष्ट नग मुन्दड़ी सिर पर परी मेलाई।।
राम वर्ण भया रामजी सीता वर्ण सीता माई,
ज्योति सरूपी जानकी गया हड़मत रे पाई।।
हर दुर्गा हड़मत गया बड़कन कीनी बड़ाई,
प्रीत करे पाया लागा बंशी परी तोड़ाई।।
गड़ गड़ गाड़ा गेडीया गढ से दिनी खाई,
परा परी रा पुल बांधियां सनिया पार लगाई।।
राम हटे लक्ष्मण लटे भारी भरखम बात भई,
यूं नहीं वेतो हड़मता राम रहता रण मांई।।
शेष प्याले केतुरोजी कोपीया जीण री ग्रह निवाई,
राम नाम नीज मन्त्र है ताव तेज रो परो जाई।।
अर्जुन केवे रामजी वचन सुणो मेरा सांई,
जमना जड़सो पिंजरो कब तोड़ेगा मेरा भाई।।
हड़मत केवे अरजणा वचन सुण मेरा भाई,
जमना जड़सी पींजरो मैं तोड़ोला मेरा भाई।।
जोधा-जोधा भड़ीया गया जमना माई,
पेला सूं थक जावसी जल सो अगनी माई।।
जमना जड़ीयो पिंजरो कमी नी राखी काई,
हड़मत माते पग दियो वीखर गयो मेरा भाई।।
अर्जण केवे हड़मता वचन सुण मेरा भाई,
हमके बणवा दे पिंजरो म्हारी भणतर भोली थाई।।
जमना जड़ीयो पिंजरो कमी नी राखी कांई,
हड़मत माते पग दियो बिखर गयो मेरा भाई।।
अर्जण काट खड़कीयो जल जमना माई,
अर्जण केवे हड़मता जलसूं अगनी रे माई।।
हाथ सड़ी कर टीपणो देवत उगतो आई,
साच कुण रा कुण साखीया कुण साखीतर भाई।।
चाँद सूरज दोय साखीया तीजी जल जमना मांई,
अर्जण हड़मत दोय जणा तीजो पास नी कोई।।
चाँद सूरज आकाश वसे जल जमना बोलत नाई,
कृष्ण रो नाम ले जड़ पिंजरो कब तोड़ोला मेरा भाई।।
कृष्ण कृष्ण करतो जड़ीयो पिंजरो कब तोड़ोला भाई,
हड़मत माते पग दियो मूल मसके नी मेरा भाई।।
उलट कर चढ़ियो आकाश में अड़ी कर आयो मेरा भाई,
नसो नस पदम भलकीया दर्शण दिया दई मांई।।
केवे कृष्णा सुण हड़मता वचन सुणे मेरा भाई,
ऐसी करूं पाण्डवों में भगती रो बड़द परो जाई।।
मोर मुकुट पीताम्बर सोवे ठाकुर सा फरमाई,
हर शरणे भाटी हरजी बोले सर पर्पोजर परो गाई।।
गायक – जीवाराम जी तंवर।
प्रेषक – दिनेश पांचल बुड़ीवाड़ा।
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