कष्ट मिटावण जगत रचावण,
आप लियो अवतार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारम्बार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारंबार।।
सकल बम्हाण्ड की रचना किनि,
सर्व शक्ति सब ही को दीनि,
जल थल अग्नी आकाश महिमा,
अद्भूद रचनाकार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारंबार।।
रावण ने गढ़ लका पायी,
पुरी सुदामा द्वारीका बनाई,
अस्त्र शस्त्र सब यंत्र बनाये,
महिमा अपरम्पार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारंबार।।
जगत बचईया वेद बचईया,
पार करो प्रभ सब की नैया,
दास भगत को शरणो लिज्यो,
भवसागर से तार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारंबार।।
कष्ट मिटावण जगत रचावण,
आप लियो अवतार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारम्बार,
विश्वकर्मा स्वामी विनती बारंबार।।
गायक – सम्पत जी दाघिच।
लेखक – श्रवण जी धामू।
अपलोड – सत्यनारायण तेली बोराणा।