हे जननी मैं न जीऊं बिन राम,
दोहा – राम ही तन में राम ही मन में,
रोम रोम में ही राम,
राम बिना मोरा जीवन सूना,
कैसे जीऊं बिन राम।
हे जननी मैं न जीऊं बिन राम,
राम लखन सिया वन को गमन कीन्हो,
पिता गए सुरधाम,
जननी मैं न जियूं बिन राम।।
होत भोर हमहूँ बन जइबे,
अवध अइहे केहि काम,
कपट कुटिल कुबुद्धि अभागिनी,
कौन हरयो तेरो ज्ञान,
जननी मैं न जियूं बिन राम।।
सुर नर मुनि सब दोष देते है,
नहीं कियो भल कम,
तुलसीदास प्रभु आस चरण की,
भए विधाता वाम,
जननी मैं न जियूं बिन राम।।
हे जननी मैं न जियूं बिन राम,
राम लखन सिया वन को गमन कीन्हो,
पिता गए सुरधाम,
जननी मैं न जियूं बिन राम।।
Singer – Pt. Rajan Sajan Mishra
प्रेषक – डॉ सजन सोलंकी।
9111337188