झांतला रा भेरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ,
अब के दीज्यो मारो साथ,
पकड़िया रिओ मारो हाथ।।
झांतला में मंदिर प्यारो,
लागे मने घणो रूपालो,
मंदिरयो थाको बनियों जोर,
ऊपर मंडरिया दादर मोर,
झांतला रा भैरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ।।
गणा कुंवारा का घर बंधवा दिया,
मांडा का बाजा बजवा दिया,
जो भी थारे सारणे आय,
मन छाया फल पाकर जाए,
झांतला रा भैरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ।।
बारह गांव मिल मंदिर बणायो,
भेरू जी को आदेश पायो,
मंदिरया को आग्यो ब्याव,
नाचों सगाल घूमर खाय,
झांतला रा भैरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ।।
नंदकिशोर कहे सुन रे कान्हा,
भेरुजी का गावो गाना,
भैरू नैया पार लगाय,
कानुड़ो चरणा में गाय,
झांतला रा भैरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ।।
झांतला रा भेरुनाथ,
अब के दीज्यो मारो साथ,
अब के दीज्यो मारो साथ,
पकड़िया रिओ मारो हाथ।।
गायक – कन्हैयालाल कांकर।
प्रेषक – नंदकिशोर प्रजापत।
8817717859