सतगुरु मिलिया पागी,
अब म्हारी सुरता भजन में लागी,
मनडो भयो बैरागी रे,
अब मारी सुरता भजन मे लागी।।
जड़ी बूटी ओखद कारी ,
दवा दारू सब त्यागी,
तंतर मंतर जंतर सारा,
लाजी बाजी हम त्यागी,
अब मारी सुरता भजन मे लागी,
सतगुरु मिलिया पागी।।
पोती पुस्तक ज्योतक सारा ,
बाछ बाछ ने त्यागी,
तीर्थ व्रत नेम रा बधंन,
सेवा पूजा हम त्यागी,
अब मारी सुरता भजन मे लागी,
सतगुरु मिलिया पागी।।
कुदरत रा खेल कुदरत से होवे,
मत भूलो बङभागी,
धीरे धीरे सब कुछ होवे,
मन री कल्पना त्यागी,
अब मारी सुरता भजन मे लागी,
सतगुरु मिलिया पागी।।
सतगुरु मिलिया संचय टलिया,
भेद भ्रम सब भागी,
कहे हेमनाथ सुणो भाई संतों ,
निर्भय हुआ बङभागी,
अब मारी सुरता भजन मे लागी,
सतगुरु मिलिया पागी।।
सतगुरु मिलिया पागी,
अब म्हारी सुरता भजन में लागी,
मनडो भयो बैरागी रे,
अब मारी सुरता भजन मे लागी।।
गायक – संत कन्हैया लाल कोशिलाव।
प्रेषक – भीमसिंह राजपुरोहित।
9448241756