आजा मेरे सांवरिया,
देखू मैं राह तेरी,
दर्शन की प्यासी है,
कब से निगाह मेरी,
आजा मेरे साँवरिया,
देखू मैं राह तेरी।।
तर्ज – तेरे जैसा यार कहां।
दीदार मैंने जबसे,
बाबा तुम्हारा पाया,
सुंदर सलोना मुखड़ा,
मेरे ह्रदय में समाया,
जाने कब होगी प्रभु,
रहमत की नजर तेरी,
आजा मेरे साँवरिया,
देखू मैं राह तेरी।।
हमने सुना है बाबा,
हारे का है सहारा,
अवगुण भुला के मेरे,
दुख दूर कर हमारा,
अब डाल चरण अपने,
बाबा चौखट पर मेरी,
आजा मेरे साँवरिया,
देखू मैं राह तेरी।।
दुखों ने मुझको घेरा,
गम की घटाएं छाई,
लीले पर चढ़कर आजा,
पैसा लगे ना पाई,
‘गोपाल’ की विनती सुनो,
स्वागत में खड़ा तेरी,
आजा मेरे साँवरिया,
देखू मैं राह तेरी।।
आजा मेरे सांवरिया,
देखू मैं राह तेरी,
दर्शन की प्यासी है,
कब से निगाह मेरी,
आजा मेरे साँवरिया,
देखू मैं राह तेरी।।
लेखक व गायक – गोपाल प्रजापति मेरठ।
8533026845