नर थारो मुँगो मनक जमारो,
नहीं तो मांग्यो मिलसी बीरा,
नहीं यो मिलसी उदारो,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
आया इस संसार में तो,
करणों पड़ेला चूकारो,
लेन देन बिना खातों बिगड़ गयो,
इन्हें सुधरे तो जट सुधारो,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
आत्मा में परमात्मा दिखे,
ब्रह्म खोल उजियारो,
झूठ कपट पाखंड नि चाले,
सत्य बिना अंधियरो,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
गज काछब टिटोडी हरिणी,
कबूतरा रो निस्तरों,
जानवर भी तरग्या मनक बण,
छौड्यो ढांडा को चारों,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
स्वर्ग नरक दोगे द्वार खुला है,
मन वे झटे पधारो,
जैसा करोगा वैसा भरोगा,
निर्भय केवे ऊकारो,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
नर थारो मुँगो मनक जमारो,
नहीं तो मांग्यो मिलसी बीरा,
नहीं यो मिलसी उदारो,
ए नर थारों मुंगो मनक जमारो।।
गायक – स्व. ऊंकार जी राव।
प्रेषक – विनोद कुमार वैष्णव।
9414240116