झोलियाँ बिस्तर बाँध लो भगतों,
फिर से मौसम आया है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
आये है दिन चालन के,
आये है दिन नाचन के,
धोली ध्वजा साथ में ले,
ये दिन पैदल जावण के,
हवा चली मेले की भगतो,
कैसा आनंद छाया है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
भूल न जाना भगतो तुम,
लेना प्रसाद बाबे का,
बाबा तो इंतजार करे,
थारे हाथ सु जीमण का,
अपना समझ कर रामधणी ने,
संदेसा भिजवाया है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
मंदिर छोड़ के रामधणी,
रस्ते माहि चाले है,
ना जाने किस भेष में,
मिल जाए बाबा आपने,
भक्तों से मिलने के ताहि,
बाबा हाथ बढ़ाया है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
दर्शन करने जब भी जाओ,
नियत अच्छी राखो तुम,
मन्दिर माही बढ़ते जाओ,
जय बाबा री कहते जाओ,
रस्ते माही लगे भंडारा,
बाबो आप जिमावे है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
रुणिचा में सेठ विराजे,
सब की आस पुरावे है,
घणा घणा ने त्यार्यो बाबो,
तू क्यू घोता खावे है,
दास गोपालो भजन सुनावे,
बाबो ताल मिलावे है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
झोलियाँ बिस्तर बाँध लो भगतों,
फिर से मौसम आया है,
चलो बुलावा आया है,
बाबा ने बुलाया है।।
गायक – गोपाल सोनी।
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