खल खल भोला गंग गिरे,
बोली सती शिव नाच धिरे।।
भांड़ो भर भांग पिगिया,
नशा माहीं धत वेगिया,
गांजो भर भर चलम खिंचे,
नाथ कहो या जोगी रे।।
देवगण देख रिया,
नंदी गण सोच रिया,
नशा में सुद बुद गुलगी रे,
शिव के या कई जचगी रे।।
नाग वेगियो हनबन,
चांद वेगियो ध्यान भंग,
डगमग पदवी वेगी रे,
दया करो दुःख हारी रे।।
डमरू बजावता,
घुघरा भी बाजता,
अंग भभुति भस्मी रे,
देखो मस्त फकिरी रे।।
भगतां की साय कर,
डुबी नैया पार कर,
डालो किरपा दृष्टि रे,
“रतन” किशन की अर्जी रे।।
खल खल भोला गंग गिरे,
बोली सती शिव नाच धिरे।।
गायक – रतनलाल प्रजापति।
सहयोगी – श्रीप्रजापति मण्डल चौगांवडी़।