बस्या बस्या म्हारे दिल में,
गुरु मुरारी गुरु मुरारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
तर्ज – चला चला रे ड्राइवर।
भक्ति रंग में रंगया होया,
इनै लिया श्याम का शरणा,
मेहंदीपुर में बालाजी के,
दर प धर दिया धरणा,
दिया घर-घर में पहुंचा इनै,
बलकारी बलकारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
धर क सिर प हाथ हमारे,
देई राम की माला,
जीवन म था अंधियारा,
वोह कर ग्या आण उजाला,
कर ग्या कर ग्या वोह कृपा,
घणी भारी-घणी भारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
सेवा भाव का पाठ पढ़ाया,
दिया धर्म का नारा,
भूखे पेट ना जाण दिया,
कोई राख्या खोल भंडारा,
दे ग्या दे ग्या र वोह प्रेम की,
पूंजी सारी पूंजी सारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
राजेश भगत प कर राखी स,
गुरु न छाया ठंडी,
दे दिया आशीर्वाद रहेगी,
सदा शिखर म झंडी,
बणे-बणे र गजेन्द्र लक्की,
परचारी परचारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
बस्या बस्या म्हारे दिल में,
गुरु मुरारी गुरु मुरारी,
समचाणे का ब्राह्मण,
स ज्यान म्हारी।।
गायक – लक्की भारद्वाज पिचौलिया।
9034 28 3904
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़ल्याण।
9996800660