मैं हार कर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो,
मैं ज़माने का सताया,
मुझे नाथ अब बचा लो,
मैं हारकर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो।।
एक आस है तुम्हारी,
विश्वास है तुम्हारा,
दुनिया से ये सुना है,
तू है हारे का सहारा,
बड़ी आस लेके आया,
मुझे चरणों में बिठा लो.
मैं हारकर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो।।
बदले में कुछ नहीं है,
जो मैं तुम्हें चढ़ाऊं,
आया हूँ तुमसे लेने,
तुम्हें क्या मैं देके जाऊं,
आंखों में आंसू लाया,
जितना चाहे रुला लो,
मैं हारकर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो।।
बड़ी ठोकरें जहाँ में,
तेरे ‘राज’ ने है खाई,
आखिर में मेरी किस्मत,
मुझे खाटू ले ही आई,
बेटा समझ के बाबा,
अपने गले लगा लो,
मैं हारकर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो।।
मैं हार कर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो,
मैं ज़माने का सताया,
मुझे नाथ अब बचा लो,
मैं हारकर के आया,
मुझे नाथ अब सम्भालो।।
गायक – राज पारीक।
प्रेषक – यादवेन्द्र नामा।
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