इंसान बनाकर भेजा जिसने,
इंसानियत ही देखेगा तेरी,
आंखे मूंद के बैठा है पर,
नज़रे है नहीं फेरी,
हैसियत वो देखे ना,
तू दिल ना छोटा कर,
भरी सोने की थाली कहाँ रखे,
जो फिरता बिन झोली,
भोले के दर पे तू खाली ही चल दे,
देगा वो भर के तू लायक तो बन,
तू लायक तो बन बंदे रे।।
ये रात है बीत जानी,
ये दिन भी ढल है जाना,
सुख और दुख है दोनों आना जाना,
डेरा यहां दो दिन कहाँ कल ठिकाना,
जो मिलना हो रब से,
तो नज़ारे मिला सको,
गले वो लगा ले,
गले वो लगा ले,
ऐसे करम हो ऐसे करम हो,
ऐसे करम तेरे,
नेकी पर चलना बंदे,
और रखना भरोसा रे,
भोले के दर पे तू खाली ही चल दे,
देगा वो भर के तू लायक तो बन,
तू लायक तो बन बंदे रे।।
नेकी पर चलना,
और रखना भरोसा रे,
तेरी कर्मभूमि का,
तू नायक तो बन बंदे रे,
देने वाला ना पूछे,
क्या है लाया तू,
पूछे ना क्या काम,
फिर क्यों है आया तू,
वो तम मैला,
कपड़ा ना देखेगा,
पर दिल झांकेगा जरूर,
पत्थर बसा भगवान,
चेहरों में इंसान ढूंढ लेता है,
चेहरों में इंसान ढूंढ लेता है।।
इंसान बनाकर भेजा जिसने,
इंसानियत ही देखेगा तेरी,
आंखे मूंद के बैठा है पर,
नज़रे है नहीं फेरी,
हसियत वो देखे ना,
तू दिल ना छोटा कर,
भरी सोने की थाली कहाँ रखे,
जो फिरता बिन झोली,
भोले के दर पे तू खाली ही चल दे,
देगा वो भर के तू लायक तो बन,
तू लायक तो बन बंदे रे।।
गायक – विनय & विनीत कटोच।
प्रेषक – वैष्णवी मिश्रा।