यो कालों गणों रूपालो रे,
भगता रखवालों रे,
म्हारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे,
मारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
सोना रो सिहासन प्यारों,
शोभा बड़ी निराली रे,
भोलेनाथ जी पाट विराजे,
सनमुख थारे भारी रे,
सोना वाला हार सोवणा,
सोना वाला हार सोवणा,
यो लागे बालो रे,
नाथ यो लागे बालों रे,
म्हारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
स्वर्ण मुकुट सोना को प्यारों,
बागा रो हद भारी रे,
डाडी मईलो हीरो चमके,
कमर्या सजी कटारी रे,
झीलमील झीलमील तुर्रा दमके,
झीलमील तुर्रा दमके,
यो भलके भालो रे,
श्याम यो भलके भालो रे,
मारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
सिंगोली में मंदिर भारी,
श्याम धणी को भारी रे,
दुर दुर सु भगत गणा ये,
पेदल पेदल आवे रे,
भीड पडे जद दोड्यो आवे,
भीड पडे जद दोड्यो आवे,
यो छेल छोगालो रे,
श्याम यो हो है मतवालों रे,
मारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
नित नवा श्रृंगार ठाकुर जी,
नाना रूप धरावे रे,
धन्यभाग पाराशर सेवक,
आछ्यो पुण्य कमावे रे,
भेरव छाया से लिख लिख गावे,
भेरव छाया से लिख लिख गावे,
देव`थारो रे,
दाश यो देव थारो रे,
मारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
यो कालों गणों रूपालो रे,
भगता रखवालों रे,
मारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे,
म्हारो सिंगोली रो श्याम,
चतुर्भुज भाला वालों रे।।
गायक / लेखक – देव शर्मा।
8290376657