मंदिर में सजके ये बैठा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा,
है श्याम सलोना सुंदर मेरा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा।।
तर्ज – परमात्मा थी रँगासे।
शीश मुकुट तेरे कानो में कुण्डल,
गल मोतियन की माल,
तन केशरिया बागा है जिसमे,
हीरे जड़े है लाल,
मुख पे बरसता जिनके नुर,
दिव्य तेज ललाट पे है भरपुर,
लीले घोड़े चढ़कर बैठा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा।।
“दिलबर” ओ दिलदार मेरे,
तू है यारो का यार,
तू हारे का सहारा है तू ही पालनहार,
इन होंटो पर तेरा नाम है,
इस धड़कन में मेरे श्याम है,
हर प्रेमी के दिल में बैठा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा।।
मंदिर में सजके ये बैठा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा,
है श्याम सलोना सुंदर मेरा साँवरा,
जिसे देखके मन मेरा बोले ये बावरा।।
गायक / रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।