उलझ्यो उलझ्यों हूं मैं बाबा,
थोड़ो सुलझ्या दे,
था बिन क्यूं यो जी ना लागे,
म्हाने बतलादे,
ज्यो थाने इब उलझानो तो,
खुद में ही उलझ्या दे,
उलझ्यो उलझ्यो रहस्यूं बाबा,
गांठा सारी लगा दे,
ओ म्हारा प्यारा सांवरिया,
ओ खाटू वाला सांवरिया।।
तर्ज – उड़ जा काले कावा।
बालपने में जान ना पायो,
थासै हेत पुराणों,
जद जो थानै जान मैं पातो,
रहतो आणो जाणो,
जद सै क्यूं ना थामी कलाई,
बाबा म्हाने बता दे,
इब तो आकै बाथ्यां भर ले,
खाटू में रहबा दे,
ओ म्हारा प्यारा साँवरिया,
ओ खाटू वाला साँवरिया।।
थारे म्हारे प्रीत की चर्चा,
जग में जब बढ़ जासी,
इक इक दुनिया वाले बाबा,
म्हानै सिर पे बिठासी,
इब तो आंख्या बाट जुहारे,
बेगो वो दिन ल्या दे,
इब सुलझ कै के करूं मैं,
खुद में ही उलझ्या दे,
ओ म्हारा प्यारा साँवरिया,
ओ खाटू वाला साँवरिया।।
इतनो उलझ्या द्यो थे बाबा,
दुनिया ने बिसराऊं,
थां बिन म्हारो कूण सांवरिया,
थाकी आस लगाऊं,
“नेहा” मन की पीड़ जो सारी,
बाबा ने बतलादे,
‘प्रतीक’ मन की पीड़ जो सारी,
बाबा ने बतलादे,
बेगो आसी यो बाबो तेरी,
पीड़ सारी सुलझया दे,
ओ म्हारा प्यारा साँवरिया,
ओ खाटू वाला साँवरिया।।
उलझ्यो उलझ्यों हूं मैं बाबा,
थोड़ो सुलझ्या दे,
था बिन क्यूं यो जी ना लागे,
म्हाने बतलादे,
ज्यो थाने इब उलझानो तो,
खुद में ही उलझ्या दे,
उलझ्यो उलझ्यो रहस्यूं बाबा,
गांठा सारी लगा दे,
ओ म्हारा प्यारा सांवरिया,
ओ खाटू वाला सांवरिया।।
Singer – Prateek Mishra
9389220702
Lyrics – Neha Agrawal