आओ पधारो शांति गुरु मैं,
कद सु बाट निहारा जी,
देख आपरी प्यारी मूरत,
मन ही मन हरखावा जी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा शान्ति गुरु ने खमा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
आबू में मोरियो बोलियों रे,
गुरूसा खमा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
मनडे रो मोर बोले रे,
गुरूसा खमा घणी।।
तर्ज – मनडा रो मोरियो बोले।
है शान्ति सूरी गुरूवर म्हारा,
थे प्राणों से भी प्यारा जी,
थारे चरणों माही गुरूवर सा,
म्हे बैठ के जीवन संवारा जी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
मनडे रो मोर बोले रे,
गुरूसा खमा घणी।।
थारा भगता ने दर्शन दीजो,
भगतो री अर्जी सुण लीजो,
“दिलबर” संयम री विनती यही,
है गुरुदेव दया करजो,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
मनडे रो मोर बोले रे,
गुरूसा खमा घणी।।
आओ पधारो शांति गुरु मैं,
कद सु बाट निहारा जी,
देख आपरी प्यारी मूरत,
मन ही मन हरखावा जी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा शान्ति गुरु ने खमा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
आबू में मोरियो बोलियों रे,
गुरूसा खमा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा योगिराज ने खमा घणी,
मनडे रो मोर बोले रे,
गुरूसा खमा घणी।।
गायक – संयम नाबेड़ा (हैदराबाद)।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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