सुबह सुबह जब भी,
मेरी आंखें खुलती है,
आंखों के सामने बस,
आरती घूमती है,
मेरे इत्र की खुशबू से,
ये दुनिया महकती है,
ये दुनिया महकती है।।
श्रृंगार सुंदर सजा हुआ होता है,
प्रेमियों से मंदिर भरा हुआ होता है,
प्रेमी के दिल की बात,
कानों में गूंजती है,
कानों में गूंजती है,
सुबह-सुबह जब भी,
मेरी आंखें खुलती है,
आंखों के सामने तो,
आरती घूमती है।।
एक एक प्रेमी का काम बनेगा,
थोड़ा धीर रखना सबका जीवन सजेगा,
जो खाटू आते है,
उन्हें दुनिया ढूंढती है,
उन्हें दुनिया ढूंढती है,
सुबह-सुबह जब भी,
मेरी आंखें खुलती है,
आंखों के सामने तो,
आरती घूमती है।।
घमंड न भाता पाखंड न भाता,
कोई भी कन्हैया बाकी खाली नहीं जाता,
हारे का सहारा तू,
यह दुनिया जानती है,
यह दुनिया जानती है,
सुबह-सुबह जब भी,
मेरी आंखें खुलती है,
आंखों के सामने तो,
आरती घूमती है।।
सुबह सुबह जब भी,
मेरी आंखें खुलती है,
आंखों के सामने बस,
आरती घूमती है,
मेरे इत्र की खुशबू से,
ये दुनिया महकती है,
ये दुनिया महकती है।।
गायक – श्री कन्हैया मित्तल जी।
प्रेषक – शेखर चौधरी।
मो – 9754032472