वीर प्रभु मेरे है,
दोहा – वीर बसे इन नयनो में,
महावीर है मेरे प्राण,
ऐसी रम गई भक्ति में,
भूल गई सब भान।
वीर प्रभु मेरे है,
मेरे है,
मैं उनकी दीवानी,
हो महावीर मेरे है,
मेरे है,
मेरी प्रीत पुरानी।।
कोई कहे सन्मति प्रभु को,
कोई कहे अति वीर है इनको,
ये वीरों के वीर है, वीर है,
बात ये मेने मानी।।
सिद्धार्थ के तुम राज दुलारे,
त्रिशला माँ के हो आँख के तारे,
हो झूला झूले राजकुँवर, राजकुँवर,
बेला थी वो सुहानी।।
साथ रहे श्रेया जन्मो जनम तक,
प्रीत न टूटे चले सांसे ये जब तक,
ये “दिलबर” तेरी है, तेरी है,
ये मेरी जिन्दगानी।।
गायिका – श्रेया रांका भीलवाड़ा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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