तेरे द्वार पे दयालु,
जिसका है आना जाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से।
अपने लिए जगत में,
कुछ भी नहीं मिलेगा,
सब बोझ ढो रहे है,
कुछ साथ ना चलेगा,
दातार की दया का,
जिसको मिला खजाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
जपने से नाम तेरा,
कट जाते सारे बंधन,
बड़ा भाग्यशाली है वो,
करता जो तेरा सुमिरन,
जो है प्रेम का पुजारी,
और नाम का दीवाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
तेरी याद में ही कान्हा,
जो जिंदगी गुजारे,
होकर मगन कन्हैया,
तेरा नाम जो पुकारे,
आँखों में जिसके आंसू,
होंठों पे है तराना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
सच्ची लगन लगा के,
जो भाव से है भजता,
‘बिन्नू’ ये मुरली वाला,
उसको कभी ना तजता,
प्रभु के चरण में आखिर,
उसको मिले ठिकाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
तेरे द्वार पे दयालु,
जिसका है आना जाना,
उसने ही इस जहाँ में,
जीने का स्वाद जाना।bd।
गायक – मुकेश बागड़ा जी।