काशी वाला जींबा चालो,
आज कबीर घर नुतो जी,
भाव प्रसादी सब ही पावो,
कोई मत रिज्यो भुखो वो जी।।
घर घर सगरी नुतो देवे,
यो नहीं मसकरो जुठो जी,
सब पकवान का भोग लागेला,
कोई मत रिज्यो भुखो वो जी।।
सातो पुण मचा दियो हलो,
यो मच गयो गुथम गुथो जी,
कबीरो देख्यो आपत आई,
जाय जंगल में सुतो जी।।
सकल श्रृष्टि के मालिक दाता,
मारे थारो बलबुतो जी,
एक बिडद यो जासी थारो,
दुजो काशी के जुतो वो जी।।
बण बिणजारो आयो सांवरो,
काम कीयो सरुपो जी,
मनख जीमाया पशु धपाया,
किडी कागलो कुतो वो जी।।
काशी वाला जींबा चालो,
आज कबीर घर नुतो जी,
भाव प्रसादी सब ही पावो,
कोई मत रिज्यो भुखो वो जी।।
गायक – देव शर्मा आमा।
8290376657