भक्ति रो बाग़ लगावो,
मोती निपजेल अंधपाल,
हिरा निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
काया माइली जमीन जगावो,
ओम सोम दोय धोरी जोतरावो।
माय सुखमन बिज ववाव रे,
भक्ति रो बाग़ लगावो।
मोती निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
मन माली ने रख लो हाली,
वोई करे बागों री रखवाली।
थारे करे बाग़ री सेव रे,
भक्ति रो बाग़ लगावो।
मोती निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
इन काया में बस रियो ठाकर,
नेसे करजो जिनरी साकर।
थारे कटे जमा रो दाव रे ,
भक्ति रो बाग़ लगावो।
मोती निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
धन सुखराम बधावो गावे,
है कोई हरिजन बाग़ लगावे।
थारे आवागमन मिट जाए,
भक्ति रो बाग़ लगावो।
मोती निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
भक्ति रो बाग़ लगावो,
मोती निपजेल अंधपाल,
हिरा निपजेल अंधपाल,
भक्ति रो बाग़ लगावो।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
https://youtu.be/gFOYiBNDuVk
Acha
Bohat achha