पहला नाम तुम्हारा शिमरू,
रिद्धि शिद्धि दे दो गुणकारी,
भक्तो के काज भोप में दलिया,
पहलाद उबरियो क्षीण माई,
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
जद अजमलजी होत्ता वोजिया,
तब रे मालिक थारो भजन कियो ।
करणी रे काज गोविन्द घरे आया,
आवे रणुजे अवतार लीयो ।।
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
राजा हरिचन्द्र रानी तारादे,
सतधारी जुगडा माये,
सत रे काज काशी में बिकिया,
भरियो घर घर में पानी,
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
बालियोड़ो आम्ब दियो दुर्योधन,
घर वावो पांडवा ताई,
पंडवेतो प्रीत राम से राखी,
आंबो उगायो पल माय,
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
पांचे पांडव ने सती द्रोपदी,
सतवंती माँ कुंताजी,
सत रे काज हिमालय गलिया,
देह गाली पहाड़ा माय,
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
कुण है लोभी कुण है लालसी,
कुण कुड़ियों जरनी माय,
मन है लोभी मन है लालसी,
मन कुड़ियों जरनी माय,
बगसोजी अर्ज करे धनियानी,
हरी रो भजन कर ले भाई,
ऐडा ऐडा वचन संभालो म्हारा दाता,
हरदम वातो ही थारी ,
शाम्भलोनी अर्ज भजो भव तारण,
एक बात मालिक मारी रे।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
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