महाकालेश्वर द्वार,
मिलता भोले का प्यार,
जहाँ क्षिप्रा के पावन जल में,
नहाता है संसार,
महिमा अपार,
चल चला चल ओ भक्ता,
चल चला चल।।
तर्ज – चल चला चल फकीरा।
माना तीरथ लाख नहाया,
पर ना नहाया कुम्भ में,
सौ यज्ञो और अश्वमेघ सा,
फल पाया इस कुंभ में,
तू भी जीवन सवार,
होगा भव से तू पार,
ओ बन्दे कुम्भ के दर्शन करने,
चल तू भी एक बार,
भोले के द्वार,
चल चला चल ओ भक्ता,
चल चला चल।।
महाकालेश्वर धाम में जाकर,
जिसने अर्जी लगाई है,
उसने शिव के आशीष से,
जीवन में ज्योति जलाई है,
करता चल तू जयकार,
शिव सुनेंगे पुकार,
शिव को अर्जी सुनाने,
जहाँ जाए नर नार,
भोले के द्वार,
चल चला चल ओ भक्ता,
चल चला चल।।
राजा हो या रंक सभी का,
मान यहाँ एक सा है,
संतजनो और भक्तजनो का,
स्नान यहाँ पर एक सा है,
पावन क्षिप्रा की धार,
करती जग का उद्धार,
अपने भक्तो पे क्षिप्रा मैया,
करती है उपकार,
भोले के द्वार,
चल चला चल ओ भक्ता,
चल चला चल।।
महाकालेश्वर द्वार,
मिलता भोले का प्यार,
जहाँ क्षिप्रा के पावन जल में,
नहाता है संसार,
महिमा अपार,
चल चला चल ओ भक्ता,
चल चला चल।।