पानी में मीन पियासी,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
जल थल सागर पुर रहा है,
भटकत फिरे उदासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
आतम ज्ञान बिना नर भटके,
कोई मथुरा कोई काशी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
मिरगा नाभि बसे कस्तूरी,
बन बन फिरत उदासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
जल बिच कमल कमल बिच कलियाँ,
तापर भँवर निवासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
सो मन बस त्रैलोक्य भयो हैं,
यति सती सन्यासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
जाको ध्यान धरे विधि हरिहर,
मुनिजन सहस्त्र अठासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
सो तेरे घट मांही बिराजे,
परम पुरुष अविनाशी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
है हाजिर तेहि दूर बतावें,
दूर की बात निरासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
गुर बिन मरम न जासी रे,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
पानी में मीन पियासी,
पानी मे मीन पियासी,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे,
मोहे सुन सुन हावे हाँसी रे।।
Singer : Jagjit Singh
Sent By : Jitendra Jangid
Buhut achha
अंत मे ‘ गुरु बिन मरम न जासी रे ‘ के स्थान पर कुछ लोग ‘ गुरु बिन भरम न जासी रे ‘ गाते है वैसे सही त़ो है ‘ सहज मिले अविनाशी रे ‘ ।