आ गया दर पे तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ,
दरश की मेरी तमन्ना,
कर दो पूरी आस माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
तर्ज – दिल ही दिल में ले लिया दिल।
भजन (इसी तर्ज पर) – दिल से दिल भरकर ना देखि।
तेरे ही हाथों में मईया,
जिंदगी मेरी रहे,
तेरे चरणों में लगूँ मैं,
बस कृपा तेरी रहे,
कर सकूँ तेरा भजन मैं,
जब तलक ये साँस माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
हाल तुमको क्या बताऊँ,
क्या छिपा तुमसे है माँ,
तुम बसी कण-कण में मइया,
जनता सारा जहाँ,
हर दिलों की धड़कनों में,
है तुम्हारा वास माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
अपने दिल के एक कोने,
में जगह दे दो मुझे,
और मैं भटकूँ कहीं ना,
शरण में ले लो मुझे,
दिल से जिसने भी पुकारा,
तुम हो उसके पास माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
स्वारथी दुनिया में मेरा,
है कोई अपना नहीं,
कर सकूँ दीदार तेरा,
बस मेरा सपना यही,
दरश से “परशुराम” को तुम,
ना करोगी निराश माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
आ गया दर पे तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ,
दरश की मेरी तमन्ना,
कर दो पूरी आस माँ,
आ गया दर पें तुम्हारे,
लेके यह विश्वास माँ।।
लेखक – परशुराम उपाध्याय।
“श्रीमानस”मण्डल, वाराणसी।
सम्पर्क – 9307386438
नोट – वीडियो उपलब्ध नहीं है।