आ गए आ गए भोलेनाथ जी,
बारात ले के,
बारात लेके शिवजी,
दूल्हा बनके,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
शिवजी का है रूप निराला,
नागराज को गले में डाला,
शीश में जिनके समाई गंगा,
माथे चंदा दमके,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
सभी देवगण बने बाराती,
भूत प्रेतों की टोली नाचती,
हिम नगरी में आज सभी ने,
मिलके लगाए ठुमके,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
गोरा जी ने मन में ठानी,
दूल्हा बने मेरे औघड़ दानी,
कठिन तपस्या देखके शिवजी,
आए नन्दी चढ़के,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
मैना हिमाचल भी हर्षाए,
शिव संग देवों के दर्शन पाए,
‘श्याम’ भजन संग रसिको ने,
नृत्य किया है जमके,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
आ गए आ गए भोलेनाथ जी,
बारात ले के,
बारात लेके शिवजी,
दूल्हा बनके,
आ गए आ गए भोलेंनाथ जी,
बारात ले के।।
रचना एवम स्वर – घनश्याम मिढ़ा भिवानी।
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