आ जाओ अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
कृष्ण मुरारी हे बनवारी,
दर्श दिखाने मधुबन में,
कौन बजाये तुम बिन बंसी,
इस सूने वृन्दावन में,
जग के खिवैया कृष्ण कन्हैया,
अब तो आओ मधुबन में,
आ जाओं अब तो गिरधारी।।
तर्ज – फूल तुम्हे भेजा है।
सूने तुम बिन यमुना के तट,
सूना गोकुल सारा है,
सबकी जुबां पर हे नंदलाला,
बस एक नाम तुम्हारा है,
याद में रोती है ब्रजबाला,
तू जिन सबका प्यारा है,
तू जिन सबका प्यारा है,
दिन दुखी और भक्त जनो का,
तू ही एक सहारा है,
आ जाओं अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
आ जाओं अब तो गिरधारी।।
श्याम सलोनी सूरत भोली,
एक बार तो दिखलाओ,
बढ़ता जाए पाप धरा पर,
आ कर प्रभु मिटा जाओ,
तुम बिन कौन हरे अब पीड़ा,
इतना तो बतला जाओ,
इतना तो बतला जाओ,
गहरा है भवसागर स्वामी,
हमको पार लगा जाओ,
आ जाओं अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
आ जाओं अब तो गिरधारी।।
आ जाओ अब तो गिरधारी,
रास रचाने कुंजन में,
कृष्ण मुरारी हे बनवारी,
दर्श दिखाने मधुबन में,
कौन बजाये तुम बिन बंसी,
इस सूने वृन्दावन में,
जग के खिवैया कृष्ण कन्हैया,
अब तो आओ मधुबन में,
आ जाओं अब तो गिरधारी।।