आ लौट के आजा मेरे श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
तेरा सूना पड़ा रे ब्रजधाम,
तेरा सूना पड़ा रे ब्रजधाम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
आ लौट के आजा मेरें श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है।।
तर्ज – आ लौट के आजा।
यमुना अगम रोये छैयाँ कदम,
तेरा कैसा धर्म रोती राधा,
चंदा गगन बरसाये अगन,
दूर कैसे मिलन की हो बाधा,
अब तू ही बता रे घनश्याम,
अब तू ही बता रे घनश्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
आ लौट के आजा मेरें श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है।।
रोती है मैया आजा कन्हैया,
तू दूर मैया से ना जा,
रोते है बाबा ओ ब्रज के राजा,
रोती है ब्रजरज तू आजा,
सब ले ले पुकारे तेरा नाम,
सब ले ले पुकारे तेरा नाम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
आ लौट के आजा मेरें श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है।।
आ लौट के आजा मेरे श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
तेरा सूना पड़ा रे ब्रजधाम,
तेरा सूना पड़ा रे ब्रजधाम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है,
आ लौट के आजा मेरें श्याम,
तुझे ब्रजवाम बुलाती है।।
रचना – अशोक कुमार खरे।
प्रेषक – मनोज कुमार खरे।